लेखनी प्रतियोगिता -17-Feb-2022 - औरत
वो औरत खड़ी थी एक जगह
शून्य में ताकती हुई,
ढलते सूरज को निहारती हुई ,
जैसे कुछ सोच रही हो ,
चाहती हो किसी निर्णय पर पहुंचना ,
क्या सही ,क्या गलत यही सब समझना ,
आसान नहीं उसके लिए,
हर किसी कसौटी पर खरा उतरना,
जैसे खुद से ही हो लड़ रही ,
हर दर्द को सहती हुई आगे बढ़ रही ,
अपनी आत्मा की आवाज को सुनना ,
पर नहीं देख सकती दुनिया उसे,
अपनी मर्जी से खिलखिलाते, बतियाते हुए,
सहती रहती है सबकी मनमर्जी,
खुद देखती रहती है कहीं दूर,
अंबर का धरती से मिलना,
ताकती रहती है शून्य में ,
बस खड़ी हुई एक ही जगह ||
प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Shrishti pandey
18-Feb-2022 11:00 AM
Nice
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Punam verma
18-Feb-2022 08:56 AM
Nice one mam
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Niraj Pandey
17-Feb-2022 09:42 PM
बहुत खूब
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Shikha Arora
17-Feb-2022 10:49 PM
धन्यवाद जी🙏
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